पार पछ्यूँ धार बटी, माठू-माठू ठुमकि-ठुमकि, रतग्यालि जै छबिलि सुघड़ि, हुलरि ऐगे ब्याल । गौनन् गोरू बाछन दगै, मोहनै कि मुरुलि रणकी, बिनू बिजौराक् गाल में, लटकी घंटुलि खणकी। अदम बाटै खालि घौड़ ल्ही, बांवरी राधिका जसी, ठाड़ि है गे ब्याल। हवा पड़ी फागुण की,

22-08-2024 0 Answers
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